सामाजिक समरसता को समर्पित : "सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:! सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माँ कश्चिद् दुःख भाग्भवेत!!"
Sunday, December 6, 2009
"विप्रसेतु" एक विचार संस्कृति - क्रांति अभियान
"विप्रसेतु" समाज के सञ्चालन - पालन में उपचारात्मक - सुधारात्मक - एवं सकारात्मक सहकार - सहयोगप्रदानकर शिक्षित - संस्कारित - स्वस्थ - समर्थ - समरस समाज के निर्माण के लिए एक विचार संस्कृति - क्रांति अभियान है ।
उज्जवल भविष्य के सूत्र :
साधना - स्वाध्याय - संयम - सेवा
सुखद भविष्य के सूत्र :
व्यस्त रहें - मस्त रहें
सुख बाँटें - दुःख बँटाये
मिल बाँट कर खाएं - खिलाएँ
सलाह लें - सम्मान दें
सामाजिक समरसता के सूत्र :
संगत - पंगत - लंगर
सफलता के सूत्र :
स्नेह - सहयोग - सदभाव - सकारात्मक कर्म
चेतना जाग्रति के सूत्र :
स्वस्थ - स्वच्छ संयमित - पवित्र मानसिकता
आत्मोत्थान के सूत्र :
अभिमान का त्याग
अतिकाम का त्याग
अतिलोभका त्याग
अतिमोहका त्याग
अतिमात्सर्य का त्याग
आप भी इस अभियान में सहभागी बनें !
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4 comments:
achchhe bichar hai.
bhagyodayorganic.blogspot.com
स्वागत है
मैंने भी आपके साथ ही ब्लॉगींग चालू और आपके लिए एक लिंक है http://www.vipravarta.org
good luck.narayan narayan
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